Funny Hindi Story for Kids | Hindi Kahani | रामलाल की पण्डिताई

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प्यारे बच्चो- आज हम आपके लिए funny hindi story ले कर आएं हैं जिसे पढ़कर आप हँस-हँस कर लोट्पोट हो जायेंगे |हम आपके लिए इसी तरह के funny hindi story ले कर आते रहेंगे |

रामलाल की पण्डिताई 

ण्डित रामलाल शास्त्रों के पण्डित  थे पर वे दुनियादारी नहीं समझते थे। बनारस में रहकर पण्डितजी  ने शास्त्रों को पढ़ा था- हजारों श्लोक रट लिए थे। वे हर बात का प्रमाण श्लोक में ही खोजते थे। अपनी बुद्धि कम काम में लाते थे। पण्डित  रामलाल का विवाह हो चुका था । एक दिन उनकी माँ ने कहा, – “बेटा! बहू को मायके गए सालभर हो गया । अब तुम जाकर उसे ले लाओ।” पण्डित  रामलाल दूसरे दिन ही अपनी ससुराल जा पहुँचे । वह पहली बार अकेले अपनी ससुराल गए थे। वह जब ससुराल गए तो वहाँ उनका बहुत सम्मान हुआ। उनके ससुर ने  कमरे में एक गद्दे पर चादर बिछाकर तकिये लगाकर उन्हें बैठने के लिए कहा ।

 

पण्डित रामलाल सोचने लगे कि मुझे ससुराल में कहाँ बैठना चाहिए। शास्त्र में इस सम्बन्ध में क्या कहा गया है। आखिर उन्हें याद आया ।
“उच्चै : स्थानेषु पूज्यन्ते” अर्थात ऊँचे स्थान पर रहने वाला पूजनीय होता है।

उन्होंने इधर उधर देखा । कमरे में गेहूँ से भरी कुछ बोरियाँ दिखाई दी। वे उनकी ओर गए और उछलकर उन बोरियों में सबसे ऊँची बोरी पर
जाकर बैठ गए।

उनके ससुर हैरान रह गए । वे समझ नहीं पाये कि उनके दामाद को यह क्या हो गया है। वह क्यों गद्दे पर न बैठकर बोरियों पर जा बैठा।
ससुर ने कहा- “आप यहाँ बैठिए न । वहाँ बोरियों पर क्यों बैठ रहे हैं । यहाँ आपको आराम रहेगा।”
पंडित रामलाल को बहुत गुस्सा आया। सोचने लगे- उनके ससुराल वाले बिलकुल मूर्ख है। वे बोले-“उच्चै : स्थानेषु पूज्यते”  मैं आपका पूज्य हूँ, इसलिए मुझे यहाँ ऊँचे  स्थल पर ही बैठना चाहिए।”

ससुर ने कहा- “कुवरसाब ! घर पर तो सब आनन्द से है ? पंडित रामलाल को क्रोध आया । वे बोले- “ससुर साहब आप वृद्ध हैं। पर आपको मेरा अपमान तो नहीं करना चाहिए।”
ससुर बोले- “मैंने आपका क्या अपमान किया है?”
“आप मुझे गाली दे रहे है।” “गाली।”
“जी हाँ, बिल्कुल गाली।”
“मैंने क्या गाली दी?”

“आपने अभी कहा है ‘कुवरजानते है ‘कु’ का अर्थ होता है बुरा और ‘वर’ का अर्थ है लड़की का पति । क्या मैं बुरा पति हूँ जो आपने ‘कुवर’ कहा ?” “बेटा! मैंने कुवर नहीं कुंवर कहा था।”
“नहीं, आप मुझे ‘सुवर’ कहिए।”
“क्या ?”
“सुवर… सुवर ।”
“सुअर नहीं, यह कैसे कह सकता
“सुअर नहीं सुवर । ‘सु’ का अर्थ है अच्छा और वर का अर्थ समझा ही चुका हूँ ?”

रामलाल के ससुर बड़े चक्कर में पड़ गये कि दामाद से तो बात करना भी मुसीबत है। वह भी थोड़े बहुत पढ़े-लिखे थे। उन्होंने सोचा मैं क्यों इस कुंवर-सूअर के चक्कर में पड़ूँ । उन्होंने एक नया |
सम्बोधन निकाला।
वे बड़े प्यार से बोले- “वत्स । घर पर सब कुशलपूर्वक हैं ?
“अच्छा, आपने फिर एक दूसरी गाली दी।
“दूसरी गाली ?”
“जी हौं, बिल्कुल गाली और बहुत बुरी गाली ।”
“मैंने कौन सी गाली दी है?”
“आपने मुझे ‘वत्स’ कहा है।”
“वत्स गाली कैसे हो गई ? इसका मतलब तो ‘प्रिय’ होता है।”
“साहब ‘वत्स‘ का मतलब बैल
का पुत्र बछड़ा होता है । मैं जानवर नहीं मनुष्य हूँ।”
तभी यह लड़ाई-झगड़ा देखकर उनकी सास कमरे में आई। उसने सोचा कि किसी तरह इस “तू-तू मैं-मैं को बन्द किया जाए।
सास उनकी कानी (आँख से अंधी ) थी। उसको दिखते ही पण्डित रामलाल को शास्त्र याद आया –
“एकाक्षी कलनाशिनी।”
अर्थात कानी स्त्री कुल का नाश करने वाली होती है।
यह ध्यान आते ही उन्होंने पास पड़ी एक लोहे की सलाख उठा ली और बोले- “ससुर साहब ! यह स्त्री कुलनाशिनी है। इसकी दूसरी आँख  भी फोड़ दो नहीं तो तुम्हारे कुल का नाश हो जाएगा ।”
अब ससुर साहब उन्हें रोक रहे थे और रामलाल उनके कुल को बचाने के लिए अपनी सास को कानी से अंधी  बनाने पर तुले हुए थे।
शोर-गुल सुनकर अड़ोसी-पड़ोसी आ गए। उन्हें जब सारी बात का पता चला तो सभी मुँह  छिपाकर हँसने  लगे |
पण्डित रामलाल ने उन्हें मुँह  छिपाकर हंसते देख लिया । उन्होंने अच्छी तरह समझ लिया कि उनके ससुराल में सभी मूर्ख बसते है। उन्हें
याद आया कि- “मूर्ख हमेशा दूसरों पर हँसा करते है पण्डित को मूर्खो के बच कर रहना चाहिए।”
यह सोचकर बिना किसी से कुछ कहे वे उठे और अपने घर की ओर दौड़ पड़े।
घर आकर पण्डित जी ने अपनी माँ को सारा किस्सा सुनाया । माँ ने अपना माथा पीट लिया और कहा- “तुम पण्डित नहीं । पढ़े-लिखे
 मूर्ख हो।” .

प्यारे बच्चो- आज की इस funny hindi story से मुझे पूरी उम्मीद है की आप इसे पढ़कर लोट्पोट हो रहे होंगे | बच्चो हम  आपके लिए इसी तरह की कहानियाँ रोज ले कर आया करेंगे – धन्यवाद 

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