एक वल्लभ नाम का बच्चा था। उसको पढ़ने-लिखने में बहुत आनन्द आता था । उसे उसके गुरुजी कुछ भी पढ़ने -लिखने देते थे , वह उसको बड़े ध्यान से पढ़ता था। उसके गाँव से पाठशाला बहुत ज्यादा दुरी पर था और वहाँ जाने का रास्ता भी बहुत खराब था। उस रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर बिखरे पड़े रहते थे, पर वह उसी रास्ते से पाठशाला जाता था।
एक दिन की बात है वल्लभ अपने मित्रों के साथ पाठशाला जा रहा था। अचानक उसके पैर में एक तेज नुकीला पत्थर लगा। पत्थर लगने से पैर के अंगूठे में चोट
लग गई और खून बहने लगा। उसने सोचा-‘यदि यह पत्थर इसी प्रकार पड़ा रहा, तो किसी को भी चोट लग सकती है। उसने उसी समय उसने मन में सोंच लिया कि वह इस पत्थर को हटा देगा। फिर क्या था, वल्लभ ने अपनी चोट की तरफ ध्यान भी नहीं दिया और पत्थर को
निकालने में पूरे जी-जान से जुट गया। पत्थर बहुत मजबूत था। वह हिल भी नहीं रहा था। लेकिन वल्लभ कहाँ मानने वाला था। वह घबराया नहीं और पत्थर निकालने में लगा रहा। उसके सभी दोस्त उसे अकेला छोड़कर चले गए, लेकिन फिर भी वल्लभ ने हिम्मत न हारी। आखिर में में उसकी मेहनत रंग लाई और पत्थर निकल गया। उसने
ने पत्थर को उठाकर सड़क के किनारे फेंक दिया। उसके बाद गड्ढे को मिट्टी से भर
दिया। किन्तु उसके पैर के अंगूठे से खून बहना अभी भी बन्द नहीं हुआ था। अब वह
जल्दी-जल्दी पाठशाला की ओर चल दिया। पाठशाला पहँचा, तो गुरुजी ने उससे देर से आने का कारण पूछा। वल्लभ ने गुरुजी को सारी बातें सही -सही बता दिया ।
वल्लभ की बात सुनकर गुरुजी के साथ वहाँ सभी लोग बहुत खुश
हुए। सभी लोगो ने छोटे से वल्लभ को गले से लगा लिया । फिर उसके पैर के अंगूठे पर दवाई लगाई । और बोले-“बेटा, मुझे तुम पर घमंड
है। दुनिया बहुत सारे लोग मुश्किल कामो से दूर भाग जाते हैं। पर तुमने चोट लगने
के बाद भी उस नुकीले पत्थर को जड़ से निकाल दिया। उस नुकीले पत्थर से
बहुत-से लोगों को चोट लगी और आगे भी चोट लग सकती थी। अब उस रास्ते पर चलने में किसी को कष्ट नहीं होगा।’
मेरे प्यारे बच्चो जानते हो , पत्थर निकालने वाला यह
लड़का कौन था ???????
यह बच्चा कोई और मामूली बच्चा नहीं था बल्कि यह सरदार वल्लभभाई पटेल थे जो हमारे देश भारत के पहले
गृहमंत्री बने थे। वे जो भी काम करते थे, उस काम में सभी लोगों की भलाई देखा करते थे।