Bachcho ki Kahani | Hindi Story | अधूरी लालच 

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प्यारे बच्चो- आज मैं आपके लिए bachcho ki kahani ले कर आया हूँ और मुझे आशा है की आपको bachcho ki kahani बहुत  पसंद आएगी। 

अधूरी लालच 

यादीन लकड़हारा था। यह उसका खानदानी पेशा था। सारे दिन जंगल में जाकर लकड़ियां काटता, महाजन, जमींदार को देता, तब शाम को रोटी मिल पाती थी। उसके दिन बड़ी गरीबी से कट रहे थे। अपनी पत्नी के साथ वह एक टूटी झोपड़ी में जिंदगी गुजार रहा था। उसकी पत्नी को भी बड़ा दुःख उठाना पड़ता था। कभी लकड़ी न मिलने पर सारे दिन भूखे ही रह जाना पड़ता था। फटे-पुराने कपड़ों में बेचारी गुजारा कर रही थी।

 

गयादीन अच्छे दिनों का सपना देखता था, पर क्या करे, क्या न करे? उसकी समझ में न आता था। वह केवल ईश्वर से प्रार्थना करता रहता था कि उसका दुःख समाप्त कर दे। कम से कम आराम से बैठकर दो रोटी तो खा सके।

 

दिन भर जंगल में कड़ा परिश्रम करने के बाद लकड़ियों का गठ्ठर बांधकर जमींदार की हवेली में आया। लकड़ी रखकर उनका मात्र एक रुपया अपनी मजदूरी का लेकर चलने ही वाला था कि जमींदार सामने आ गये। उनको देखते ही गयादीन ने पालागी की और हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। जमींदार के साथ एक अधेड़ आदमी और था। जमींदार बोले-गयादीन

“हुकुम सरकार!

“ये हमारे बहनोई है। इनसे बात करो।”

“जो हुकुम सरकार!” -गयादीन अदब के साथ बोला।

जमींदार चले गये। उस आदमी ने कहा, “गयादीन! जंगल में हाथी भी बहुत है।”

“हैं तो सरकार।” -गयादीन हाथ जोड़कर बात कर रहा था।

“तुम एक दो हाथी दांत ला सकते हो।”

गयादीन मुंह ताकने लगा।

“अगर तुम हाथी दांत ला दोगे, तो तुमको सोने की एक अशर्फी मिलेगी।”

सोने की अशर्फी की बात सुनकर गयादीन आश्चर्य से आँखें फाड़कर देखता रह गया।

“कोशिश करो ना!

“अक्का सरकार!” -सिर हिलाकर गयादीन हवेली से निकलकर अपनी टूटी झोपड़ी की ओर चल पड़ा। वहां भूखी बैठी पत्नी उसका इतजार कर रही होगी। वह मन ही मन सोचने लगा। अपनी दशा पर गयादीन को रोना आ गया। फिर सोने की अशर्फी का ध्यान आया। सोने की एक अशो..बाप रे! इतना तो बहुत है।

 

ऐसी एक अशर्फी मिल जाने पर वह अपना छोटा-सा पक्का घर बना सकता है। फिर भी बहुत कुछ पैसा बचेगा। इससे वह कोई छोटा रोजगार या दुकान खोलकर आराम से जिदगी बसर कर सकता है। एक अशर्फ सोने की…।

गयादीन का मन ललचा गया। उसके मुंह में पानी भर आया… पर इसके लिये हाथी दांत लाना पड़ेगा। जंगल में हाथी तो बहुत है, पर दांत कहां मिलेगा?

 

गयादीन चिन्ता में पड़ गया। भगवान से प्रार्थना करने लगा , उसे हाथी दांत मिल जाये। उसने अपनी पत्नी से कोई चर्चा न की। सुबह उठकर जंगल में चला गया। एक तरफ उसने जंगल छानना शुरु कर दिया। रास्ते में कई हाथी मिले, पर उनका भारी भरकम शरीर देखकर कांप गया। इनके दांत वह कैसे काट सकता है। हाथी उल्टे उसे कुचल कर मार डालेंगे। कैसा,क्या करे? इसी चिंता में डूबा गयादीन आगे बढ़ता जा रहा था।

 

आगे जंगल में एक बड़ा सा गड्ढा था। उस गड्ढे में एक भारी भरकम हाथी पड़ा छटपटा रहा था। शायद उसके प्राण निकलने वाले थे। गयादीन की आँखे प्रसन्नता से चमक उठीं। मन ही मन वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। हे भगवान। यह हाथी मर जाये और वह उसका एक दांत काटकर ले जाये। शायद ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली। थोड़ी देर में हाथी छटपटा कर मर गया। गयादीन की आँखों में खुशी के आंसू आ गये। वह गड्ढे में उतर गया। उसने हाथी का एक दांत अपनी कुल्हाड़ी से उसी प्रकार काटना शुरु कर दिया, जिस प्रकार लकड़ी काटता था।

 

देखते-देखते दांत कट गया। दांत उठाकर तेजी से वह भागा। भागते-भागते वह हवेली में आया। उसने हाथी दांत जमींदार के बहनोई को दिया। “हाथी दांत मिल गया सरकार!” -खुशी से बोला गयादीन । अच्छा खासा हाथी दांत देखकर वह खुश हो गया। बोला, “शाबाश!’ और सोने की एक अशर्फी उसके हाथ पर रखकर कहा, “और भी हाथी दांत लाना। इस बार भी तुमको सोने की एक अशर्फी मिलेगी।”

 

अशर्फी पाते ही वह पालागी कर तेजी से भागा। हड़बड़ी में यह बताना भूल गया कि एक हाथी दांत वह और ला सकता है। घर आकर उसने अपनी पत्नी को सब बताया। पत्नी बेहद खुश हो गयी। गयादीन बोना, “इसे बेचकर हम अपना घर बना लेंगे। तब तक इसे छिपाकर रखो।” फिर उसने बताया कि एक और हाथी दांत पड़ा है, तो पत्नी बोली, “जाओ, उसे भी ले आओ! एक अशर्फी और मिल जायेगी।”

 

‘अब तो रात हो गयी है, फिर देखेंगे। पहले इसको तो काम में ले आओ।” पत्नी ने जिद पकड़ ली। बोली, “पागल मत बनो! अभी जाकर ले आओ! रात आधी है तो क्या हो गया?” गयादीन मान न रहा था। पत्नी अपनी जिद पर थी। जोर जोर से दोनों बातें कर रहे थे। अंततः पत्नी के आगे गयादीन को झुकना पड़ा।

 

रात में ही वह जंगल गया। अंधेरे में ही दांत काटने लगा, पर दो तीन आदमियों की आहट, आवाज सुनकर डरकर छिप गया। वह तीन-चार आदमी थे। एक कह रहा था, “पति पत्नी जोर जोर से लड़ रहे थे। पति चला गया। पत्नी ने अशर्फी घास के ढेर में छिपा दी। मैंने निकाल ली। आज दिन बड़ा शुभ रहा।”

 

सुनते ही गयादीन भौचक्का रह गया। यह तो उसकी ही अशर्फी चोरो ने मार दी। वह फौरन सामने आकर उनको ललकारने लगा। चोरों के पास हथियार थे। सब मिलकर उस पर टूट पड़े। उसका काम तमाम कर भाग गये।

उसकी पत्नी सारी रात इंतजार कर सुबह अशर्फी निकालने घास में हाथ डालने लगी। अशर्फी अपने स्थान पर न थी। उसने घास का तिनका-तिनका छान मारा, पर अशर्फी न मिली। रोती-पीटती जंगल की ओर भागी। गड्ढे के पास आयी, तो उसका पति मरा पड़ा था। वह पछाड़ खाकर बेहोश हो गिर गयी।

प्यारे बच्चो, आप सभी को bachcho ki kahani कैसी लगी हमे जरूर बताइयेगा ताकि हम  इसी तरह की मज़ेदार bachcho ki kahani ले कर आ सके – धन्यवाद 

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