Hindi child story || फूलकुमारी और नीलकमल || हिन्दी कहानी

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प्यारे बच्चो, आज मैं आपके लिए hindi child story ले कर आया हूँ और आशा करता हूँ की आपको hindi child story  बहुत पसंद आएगी। 

फूलकुमारी और नीलकमल 

क था राजा। उसका कोई बेटा न था, सिर्फ तीन बेटीयाँ थीं। सबसे बड़ी बेटी का नाम कंचन कुमारी था, उससे छोटी का नाम था माया कुमारी, और सबसे छोटी का नाम था फूलकुमारी। फूलकुमारी अपनी दोनों बहनो से ज्यादा सुन्दर थी, देखने में वह सचमुच कोई फूल लगती थी।

दुनिया के ही सारे राजकुमार नहीं, बल्कि इन्द्र लोक के राजकुमार भी उससे ब्याह करने का सपना देखते थे। तीनों बेटियाँ बड़ी हो गई तो राजा ने उनकी शादी का प्रबन्ध किया। उसने दूर-दूर के राजकुमारों को आमन्त्रित किया और यह घोषणा की कि राजकुमारियाँ अपनी-अपनी अटारियों से वरमाला फेंकेंगी, जिसकी माला जिस राजकुमार के गले में आकर पड़ेगी, वही उसका पति माना जाएगा।

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तीनों राजकुमारियों ने अपनी-अपनी बारी पर माला फेंकी, कंचनकुमारी को माला एक सुन्दर राजकुमार के गले में पड़ी। मायाकुमारी की माला एक दूसरे राजकुमार के गले में पड़ी। दुर्भाग्य से फूलकुमारी की बारी आयी तो न जाने कहाँ से एक बकरा आ पहुँचा और माला उसी के गले में जा पड़ी।

लोगों ने कहा, राजकुमारी को दोबारा अपना भाग्य आजमाना चाहिए. लेकिन राजकुमारी ने कहा – उसके भाग्य में बकरे की ही पत्नी बनना लिखा है। वह माला दोबारा नहीं फेंकेगी।लोगों ने बहुत समझाया मगर वह अपनी जिद पर अड़ी रही। 

बकरे और फूलकुमारी का ब्याह हो गया। कोई उससे हमदर्दी प्रकट करता और कोई उसका मजाक उड़ाता। कंचन और माया अपने-अपने पति के साथ ससुराल चली गईं। मगर फूल कहाँ जाती? वह पिता के ही घर पड़ी रही. बकरा भी वहीं रहता। उसका शरीर नीला था, इसलिए फूल कुमारी ने उसका नाम नीलू रख दिया। दूसरे लोग भी उसे नीलू कह कर बुलाने लगे।

एक रात अजीब सी बात हुई। फूल की आंख सोते-सोते अचानक खुली तो यह देखकर वह हैरान रह गई कि नीलू पलंग पर नहीं था. फूल ने सारा महल छान डाला, मगर कहीं पता न चला. उसका इन्तजार करते-करते फूल को फिर नींद आ गई. सवेरे आँखें खुली तो नीलू पलंग पर मौजूद था।

तीन चार रातें इसी प्रकार बीत गयीं. सोते-सोते जब उसकी आंख खुलती तो नीलू का कहीं पता न होता “और सुबह होते-होते फिर वह आ जाता। एक रात फूल कुमारी ने अपने आप को जबरदस्ती जगाए रखा।आधी से ज्यादा रात बीत गई तो उसने देखा कि नील अपने पलंग से उठा और कमरे से बाहर निकल गया। फूल कुमारी ने दबे कदमों से उसका पीछा किया।

नीलू महल से निकल कर एक सुनसान रास्ते पर जा रहा था। कुछ दूर पर एक छोटी सी नदी थी. नीलू उसे पार करके जंगल में आया। घने पेड़ों के बीच एक पुराना महल नज़र आने लगा। फूल उससे कुछ ही फासले पर अपने आप को पेड़ों में छिपाती हुई उसका पीछा करती रही। महल के
दरवाजे पर पहुँच कर नीलू ने मुँह से सीटी की आवाज़ की और महल का फाटक खुल गया। नीलू अन्दर चला गया।

पूरे चाँद की रोशनी में महल और सारा जंगल नहाया हुआ था। फूल सब कुछ साफ साफ देख सकती थी। थोड़ी देर बाद नीलू बाहर आया, तो उसके साथ कई और बकरे थे उनका भी शरीर नीला था।

वे सब आपस में आदमियों को जुबान में बातें कर रहे थे, नीलू ने चांद की ओर देख कर कहा, “कैसी सुहानी चाँदनी है, चलो झोल में नहाते हैं.”

महल के करीब एक सुन्दर सी झील थी। वहाँ पहुँच कर उन सब ने अपनी अपनी खालों को इस तरह उतार दिया जैसे हम कपड़े उतारते हैं। अब वे सब आदमी के रूप में थे। फूल का पति नीलू इतना रूपवान था कि चांद भी उसके सामने फीका लगने लगा। फूल का दिल खुशी और आश्चर्य के मारे जोर जोर से धड़कने लगा।

बड़ी देर तक वे नहाते रहे और हंसी मजाक करते रहे. फिर चांद डूबने लगा, सब लोग बाहर निकले, अपनी अपनी खालें पहनी और वापस आ गए।फूल नीलू के पहुंचने से पहले ही अपने कमरे में जाकर आखें मूंद कर लेट गई. थोड़ी देर बाद नील आया, अब वह बकरे के रूप में था। उसने फूल को देख कर ठंडी सी आह भरी और फिर पलंग पर लेट गया।

फूल आँखे मूंदे सवेरे तक लेटी रही. उसके मस्तिष्क में एक ही सवाल घूम रहा था “नीलू के साथ ऐसी क्या मजबूरी है कि अपनी पत्नी के सामने भी अपना असली रूप प्रकट नहीं कर सकता?

दूसरी रात फिर फूल जागती रही. नीलू उठा तो उसके पीछे पीछे वह भी गई. उसने निश्चय कर लिया था कि आज वह इस रहस्य को जान कर रहेगी। पहली रात की तरह आज भी नीलू अपने साथियों के साथ अपनी खाल झील के किनारे उतार कर पानी में कूद गया। फूल समीप ही एक चट्टान के पीछे छिपी हुई थी। जब वे सभी लोग बातचीत में लग गए तो वह निकली। उसने लपक कर नीलू की खाल उठाई और भाग खड़ी हुई।

नीलू ने उसे देख लिया था. वह उसके पीछे पीछे दौड़ा,मगर उसे पा न सका. वह सीधे अपने महल में आई और खाल को कमरा गर्म रखने वाली अंगीठी में झोंक दिया। तब तक नीलू भी पहुँच चुका था. देखते ही देखते खाल जल कर राख हो गई। नीलू बुरी तरह भयभीत था. खाल जब जल
गई तो उसने अपने शरीर पर हाथ फेरा। अब उसकी आँखे खुशी से चमक उठी. उसने फूल से कहा-तुम सचमुच मुझे प्यार करती हो वर्ना खाल के साथ साथ मैं भी जल कर भस्म हो जाता।” तब नीलू ने अपनी सारी आप बीती सुनाई। उसने बताया मैं एक राजकुमार हूँ।

एक बार मैं अपने साथियों के साथ जंगल में शिकार खेलने गया था।वहाँ गलती से मेरा तीर एक साधू को जा लगा. उसने हम सब को श्राप देकर
बकरा बना दिया और कहा कि हम सब तभी दुनिया के सामने दोबारा आदमी के रूप में जा सकेंगे जब कोई लड़की मेरी खाल को जला देगी जो मुझसे सच्चा प्यार करती हो।

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फूल कुमारी का प्यार सच्चा था। नीलू के साथ-साथ उसके सारे साथी भी श्राप से मुक्त हो गए. नील और फूल-कुमारी का जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होने लगा। राजकुमारी नीलू को अब नीलू नहीं बल्कि उसके असली नाम नील कमल से पुकारती थी।

 

प्यारे बच्चो , आप  सभी को hindi child story कैसी लगी हमे जरूर बताइयेगा ताकि हमे आपके लिए इसी तरह की मज़ेदार hindi child story ले कर आने में आसानी होगी – धन्यवाद 

 

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