Hindi kahaniya cartoon // चींटी और हाँथी की कहानी

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प्यारे बच्चो- आज हम आपके लिए hindi kahaniya cartoon ले कर आये है और मैं आशा करता हूँ की आप सभी बच्चो को hindi kahaniya cartoon बहुत पसंद आएगी |

चींटी और हाँथी की कहानी 

ने जंगल में पुरानी दीवार के पास चींटियों के 10-12 बिल में बहुत सी चीटियाँ रहती थीं. इन बिलों के पास ही  बड़े-बड़े वृक्ष थे. चीटियाँ उन के पास के खेतों से अपना भोजन ला कर बिलों में जमा करती रहती थी, उन में एक रानी चींटी भी थी. उस की बात सभी चीटियाँ  माना करती थी |
सभी चीटियाँ आपस में घुलमील कर बड़े प्यार  से रहती थीं |

एक दिन अचानक चीटियों पर मुसीबत आ गई. उन्हें अपने जीवन की चिता सताने लगी हर रोज भारी संख्या में उन की मौत होने लगी. यह सब एक हाथी की वजह से हो रहा था. वह एक वृक्ष के पास रहने के लिए आया हुआ था, वैसे तो जंगल में रहने के लिए पर्याप्त स्थान था, लेकिन फिर भी यह चीटियों के दिलों के पास वाले पेड़ के नीचे रहने लगा, जानबूझ कर दीवार के पास से गुजरते हुए चींटियों को मारता हुआ आने जाने लगा |

चुटियों की दशा देख कर हाथी को बड़ी हंसी आती,वह कभी पेड़ों की शाखाएं तोड़ कर ले आता तो कभी छोटी पूँछ और बड़े कान हिला कर नाचता. कभी कभी वह जानबूझ कर अपनी सुँढ़ में पानी भरकर लाता और उसे चीटियों के बिलों पर दाल डाल देता| चीटियाँ डर कर इधर उधर भागती तो हाथी को मजा आता ,
एक दिन जब हाथी जंगल से दूर गया हुआ था तो चीटियाँ इकट्ठी जमा हुईं. उन्होंने आपस में सलाह की कि वे इस खतरे का सामना कैसे करें|

अंत में यह तय हुआ कि 200 चींटियों का एक प्रतिनिधि मंडल हाथी के पास जाए और उस के सामने अपनी बात रखे, 200 चीटियाँ हाथी के पास पहुंची. उन में से एक ने हाथी से कहा, “भाई, आप हमारे पड़ोसी हैं. हमें मिलजुल कर रहना चाहिए. मुसीबत में एकदूसरे की सहायता करनी चाहिए,लेकिन आप अपना पड़ोसी का कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं. आप ने हमारे घर तहस नहस कर दिया  हैं. आप को इस तरह नहीं करना चाहिए.”
सारी बात सुन कर हाथी सूँड हिला कर जोर से बोला, “अरी भिखारिनो, अपना पाठ अपने पास रखो, मुझे मत सिखाओ. यदि तुम्हें डर है तो यह जगह छोड़ दो | “

चींटियों ने हाथी को बहुत समझाना चाहा, लेकिन वह कुछ सोचने समझने के बजाए गुस्सा हो गया. अतः चीटियाँ निराश हो कर लौट पड़ी| हाथी को अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था. वह निरीह चींटियों से समझौता करना नहीं चाहता था. उस ने अपना व्यवहार नहीं बदला| चीटियों ने फिर सभा की, जिस में यह फैसला हुआ कि वे
हाथी को सबक सिखा कर रहेंगी|

___ योजना के अनुसार हजारों चीटियाँ पेड़ की उस शाखा पर इकट्ठी हो गईं जिस के नीचे हाथी रहता था. हाथी आ कर उस पेड़ के नीचे खड़ा हुआ, तब उस का
सिर उस शाखा से छू रहा था.’शीघ्र ही चीटियाँ  हाथी के सिर पर कूद पड़ी. फिर उस के कान, सिर और मुँह पर पहुँच कर उसे काटने लगी. कुछ तो कान में घुस गईं और काटने लगी|हाथी दर्द से तड़प कर उठने बैठने लगा, फिर कुछ समय बाद वह बेहोश हो गया| इस के बाद चीटियाँ अपनेअपने घरों को लौट गईं|

कुछ समय बाद हाथी आया और पहले की तरह वह फिर घूमने लगा. अगले दिन चींटियों ने वही बात दोहराई. चींटियों
ने हाथी के कान, नाक, सूंड में खूब काटा. तीसरे दिन हाथी चींटियों के बिल की तरफ आ रहा था. इस बार उस के कान पहले की तरह नहीं हिल रहे थे. सूँड भी शांत थी. उस का सारा चेहरा चींटियों के काटने से सूजा हुआ था. किसी तरह वह रानी चींटी के पास पहुँचा और कहने लगा, “मैं अपनी हार मानता हूँ . आगे से मैं किसी चींटी को नहीं सताऊँगा, परंतु अब मुझे भी आप की चींटियां तंग न करें. मैं क्षमा मागता हूँ |
यह कह कर हाथी ने अपने घटने टेक दिए. रानी चींटी ने कहा, “भाई हाथी, उसे, तुम हमारे पड़ोसी हो. हम तो तुम्हें पड़ोसी का सम्मान करना सिखाना चाहती थीं. जब हमारे पड़ोसी ने हम पर अचानक आक्रमण किया तो हम ने भी अपनी
ताकत दिखा दी| ” हाथी शरमिंदा हुआ. उस ने कहा, “बहनो, तुम सब बहुत अच्छी हो और ताकतवर हो. मैं यहां से विदा लेता हूँ .”यह कर कर हाथी सिर झुका कर वहाँ  से चला गया , इस तरह चींटियों का दुख दूर हो गया|

प्यारे बच्चो- ये कहानी hindi kahaniya cartoon आप सभी बच्चो को कैसी लगी हमे जरूर बताइयेगा ,ताकि हम आपके लिए इसी तरह की कहानियों को लाया करेंगे | 

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