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कंजूस आदमी
कई साल पहले की बात है एक आदमी रहता था । वह बहुत कंजूस था। एक बार जब वह जंगल से गुज़रा, तो उसने खजूर का पेड़ देखा , जिसमे बहुत सारे मीठे मीठे खजूर लटक रहे थे | उसके मुह्ह में पानी आ गया क्योंकि अब उसे मुफ्त में खजूर मिल रहे थे | माल मुफ्त मैं मिलने पर उसका दिल बेरहम हो गया | उसने जल्दी जल्दी पेड़ पर चढ़ना शुरू कर दिया | जब वह काफी ऊपर चढ़ गया, तो एक मधुमक्खी ने अचानक उसे डंक मार दिया। उसने पेड़ पर मधुमक्खियों का एक बड़ा छत्ता देखा वह घबरा गया, उसने नीचे कूदने के बारे में सोचा लेकिन नीचे एक कुआँ था | वह बहुत डर गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा ; “ हे भगवान! मुझे बचाओ, मैं सौ (100) गरीबो को भोजन कराऊंगा
“फिर उसने नीचे उतरने की कोशिश की, धीरे-धीरे नीचे आकर कहा: ” 100 नहीं तो कम से कम 75 गरीबो को जरूर खाना खिलाऊंगा | थोड़ा और नीचे, उसने कहा:” चलो, अगर 75 नहीं, तो मैं 50 गरीबो को जरूर खाना खिलाऊंगा ” ऐसा करते करते वह निचे उतरने लगा , जब वह पेड़ से निचे उत्तर गया तो अपने घर पहुंचा तो उसने साड़ी कहानी अपनी पत्नी को सुनाई |
कंजूस आदमी की पत्नी ने उस फ़क़ीर को 2 रुपए के सिक्के दिए | शाम को जब कंजूस घर लौटा, तो उसने गरीबों के बारे में पूछा – तो उसकी पत्नी ने उसे सारा माज़रा सुनाया, वह कंजूस आदमी बहुत क्रोधित हुआ | वह डंडा लेकर उस गरीब के घर पहुंचा। गरीब की पत्नी बहुत चालाक थी, जब उसने कंजूस आदमी को गुस्से की हालत में अपने घर की ओर आते देखा, तो वह दरवाजे से बाहर आया और जोर से चिल्लाया की – “पता नहीं किसने मेरे पति को खाने के लिए क्या दिया था? उनका तबियत बहुत ख़राब हो गया है ,
हाय मैं क्या करूं ? वह अब जिन्दा नहीं बचेगा ? अरे कोई है जो मुझे उस आदमी का पता बताएगा जिसके कारण मेरे पीटीआई की ऐसी हालत हुई है………
कंजूस आदमी बुरी तरह से डर गया , उसके पास जाकर उस गरीब की पत्नी से कहा की – आप चिल्लाइये मत और आपको परेशां होने की कोई जरुरत नहीं है , मैं अभी घर जा कर आपके पति के इलाज के 1000 रुपए भेजवा देता हूँ |
चालाक फ़क़ीर अपने घर पे बैठा हॅंस रहा था , इस तरह से उस फ़क़ीर ने उस कंजूस को अपनी चाल में फ़सा लिया |