Hindi story in hindi language // शेर का शिकार 

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शेर का शिकार 

न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड में पूरे सात बरस रहने के बाद माइक की इच्छा हुई  कि वह अब शांति आर आराम की जिंदगी गुजारे। माइक एक पलिस कॉस्टेबल था। उसकी आयु 45 वर्ष थी। वह एक शरीफ और हँसमुख आदमी था। उसका सबसे अच्छा दोस्त और साथी उसका कुत्ता था, जिसने हर दुख सुख में माइक का साथ दिया था। चाहे वह किसी नशे में चूर शराबी को संभालने की समस्या रही हो या
कोई झगड़ा, हर जगह उसका कुत्ता जै’ उसके साथ साए की तरह लगा रहता था। ‘जै’ के साथ रहते उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। सारी-सारी रात गश्त लगाना और लंबे समय की ड्यूटी देना
अब उसके लिए कष्टदायक हो गया था और उसकी पत्नी हेलेन को भी अब उसकी चिंता रहने लगी थी।

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एक दिन माइक को अपने डिपार्टमेंट से सूचना मिली कि चूँकि उसकी आयु अब ज्यादा हो चुकी है, इसलिए सरकारी छानबीन के मामलों से उसकी छुट्टी कर दी गई है। तब माइक ने सोचा था कि अब उसके लिए, उसके परिवार और प्रिय कुत्ते ‘जै’ के लिए एक शांतिमय जीवन गुजारने का अवसर है। उसने तुरंत अपनी बदली के लिए प्रार्थना पत्र । दिया। प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया गया और माइक को उसकी इच्छानुसार एक छोटी-सी बस्ती लॉरेंस में नियक्त का दिया गया। लॉरेंस की बस्ती वहां से लगभग 1500 किलोमीटर  की दूरी पर एक द्वीप में स्थित थी। लंबे-लंबे पेड़ों वाली इस बस्ती की आबादी कुल 600 व्यक्तियों पर निर्भर थी। माइक और उसके परिवार के लोगों को यह शांत बस्ती बहत पसंद आई। यहाँ के लोग पुलिस वालों से भयभीत नहीं थे, बल्कि उन्होंने माइक और उसके परिवार को अपनी छोटी-सी दुनिया में सम्मिलित कर लिया था। वहाँ माइक को छोटे-छोटे काम करने पड़ते थे। जैसे खोई हुई चीजों की खोज, किसी का कर्जा वसूल करा देना, बंदूकों के लाइसेंस की सिफारिश करना, या कभी-कभी कोई दुर्घटना हो तो मरीज़ की देखभाल करना। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं।

माइक को लॉरेंस की बस्ती में आज सात सप्ताह बीत गए और कोई असाधारण बात नहीं हुई। उसके बाद वहाँ एक सर्कस आया। सर्कस में विभिन्न प्रकार के कलाकारों के  अलावा काफी संख्या में शेर, चीते, बंदर, कुत्ते और दूसरे  जानवर भी थे। जिस दिन सर्कस लगा, उस दिन से माइक कुछ  ज्यादा ही व्यस्त हो गया था। रात को आठ बजे के करीब माइक टेलीविज़न देख रहा था।  वह जल्दी ही बिस्तर पर चला जाना चाहता था। आज थोड़ी- सी भाग-दौड़ के बाद वह अपने आपको काफी थका सा  महसूस कर रहा था। अब उसे और हेलेन को दुनिया के सारे  सुख और आराम मिल रहे थे, जिनके वो सपने देखा करते थे। 
उसका प्रिय कुत्ता ‘जै’ उसके कदमों में सोया हुआ था। तभी  टेलीफोन की घंटी बज उठी, बहुत सुस्ती और काहिली से माइक फोन की ओर बढ़ा। “बेहतर यह होगा कि आप यहाँ फौरन चले आइए।” उधर से बोलने वाला कह रहा था, “सर्कस के शेर भाग निकले हैं।”

“क..क…क्या कह रहे हो तुम?” उसने इस तरह कहा, जैसे उसे विश्वास ही न हो रहा हो। बस्ती के एक सिरे पर एक  पार्क में, सर्कस की छोटी सी दुनिया आबाद थी। सर्कस के बड़े तम्बू में लोगों की भीड़ जमा थी। लगभग 400 दर्शक उस समय मौजूद थे। सर्कस का पहला कार्यक्रम अभी समाप्त नहीं हुआ था कि खबर मिली कि सुल्तान (शेर) और सोनिया (शेरनी) को एक नए लड़के ने पिंजरे में बंद किया था। वह
लड़का अभी कुछ दिनों से ही सर्कस में काम करने आया था। तमाशा देखने के शौक में उसने पिंजरा ठीक से बंद नहीं किया और वहाँ से चला आया। नतीजा यह हुआ कि सुल्तान और सोनिया ने पिंजरा खोल लिया और रात के अंधेरे में निकल गए।
सर्कस से निकलकर दोनों शेर फुटबॉल के मैदान में घुस गए, जहाँ सर्चलाइट की रोशनी में कुछ लोग खेल रहे थे। शेरों को देखते ही खिलाड़ी सिर पर पैर रखकर भागे। शेरों के भागने की खबर मिलते ही सर्कस के मैनेजर ने बिना कोई कारण बताए लोगों से अनुरोध किया कि वो खामोशी से पंडाल के बाहर निकल जाएँ, लेकिन बाहर निकलते हुए लागा ने शोर सुन लिया कि ‘शेर भाग गए।’ बस फिर क्या था, वहाँ भगदड़ मच गई।

सुल्तान और सोनिया ने थोड़ी देर में ही कई लोगों को घायल कर दिया। बस्ती के स्कूल का प्रधानाध्यापक अपने दफ्तर में बैठा काम कर रहा था, शोर और उसका कारण सुनते ही उसने स्कूल का फाटक खुलवा दिया और लगभग 50 बच्चे पनाह लेने अंदर घुस आए। प्रधानाध्यापक ने तुरंत माइक को फोन किया।
माइक ने इस बात पर विश्वास करने से इंकार कर दिया, लेकिन प्रधानाध्यापक ने उसे विश्वास दिलाते हुए कहा, “सचमुच शेर भाग गए हैं।”
आखिर माइक को विश्वास करना पड़ा। उसने हेलेन से कहा कि वह पास के जिला मुख्यालय को फोन करे। इसके अलावा उसने बस्ती के होटल में भी फोन करने को कहा, ताकि वहाँ लोगों को बाहर न निकलने दिया जाए। अपने काम पर जाते समय माइक आमतौर पर ‘जै’ को साथ ले जाया करता था, लेकिन आज उसने कुत्ते को जंजीर से बाँध दिया कि कहीं ऐसा न हो कि वह घर से बाहर निकल जाए और शेरों की पहँच में आ जाए। फिर उसने अपनी सरकारी रायफल उठाई। आग उगलने वाले हथियारों में उसकी कोई रुचि न थी। और लॉरेंस में आने के बाद तो मुश्किल से ही उसने कभी रायफल को हाथ लगाया था। उसे उम्मीद थी कि आज भी उसे रायफल का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। पार्क के करीब पहुँचकर माइक ने सर्कस की एक गाडी देखी, जो शेरों को धकेलकर पिंजरों में बंद करने की कोशिश में कर रही थी। वह भी अपनी कार लेकर उनकी मदद करने लगा, लेकिन पिंजरे का दरवाजा दोबारा बंद हो गया। सर्कस का कोई कर्मचारी आगे बढ़कर दरवाजा खोलने की कोशिश न करता तो सुल्तान गुर्राकर उसकी ओर दौड़ता और लोग भय के में मारे पीछे हट जाते। ने लगभग पंद्रह मिनट के अंदर माइक को अंदाजा हो गया कि है इस तरह सफलता नहीं मिल सकती। सर्कस वालों के पासन न तो बेहोश करने वाली बंदूक थी और न ही जाल था, जिससे शेरों को कैद किया जा सकता। दोनों शेर किसी भी समय आबादी पर हमला कर सकते थे। आखिर तंग आकर सर्कस के मैनेजर ने माइक से उन्हें गोली मारने को कहा। गोली मारने के विचार से ही माइक का दिमाग चकरा गया। एक कुत्ते के जीवन की ख़ातिर तो इतनी दूर छोटी-सी बस्ती में आया था और आज उसे दो शेरों को मारने के लिए कहा जा रहा है। उसने अपनी कार से सुल्तान का पीछा करना शुरू किया,
यहाँ तक कि वह उसकी गाड़ी की हैड लाइट की रोशनी में आ गया। वह अभी गाड़ी से 30 मीटर की दूरी पर था और तेजी से जंगल की ओर बढ़ रहा था। तभी अचानक सुल्तान पीछे मुड़ा और वापस माइक की तरफ
पलटा। माइक यह सोचकर खुश हुआ कि शेर को कैद करने का एक मौका फिर मिल गया है, लेकिन उसका यह सोचना गलत साबित हुआ। शेर मुड़ा और तेजी से खेतों की ओर भागने लगा। माइक ने शेर पर टकटकी जमाए हुए सोचा कि यह निशाना उसके जीवन का बेहतरीन निशाना होना चाहिए, क्योंकि जख्मी होने के बाद शेर और भी खतरनाक हो जाता है। माइक ने गोली दाग दी। सुल्तान गिर पड़ा। माइक ने एक गोली  और चलाई।
सभी का ध्यान सुल्तान की ओर था। मौका पाकर सोनिया शेरनी बस्ती में घुस गई। उसने कई लोगों पर हमला करने की कोशिश की। दयावान माइक ने सोचा शेर तो मारा गया, लेकिन कोई उपाय निकाले तो कम से कम शेरनी को तो बचाया जा सकता है। इसलिए उसने डॉरेंट गन (बेहोश करने वाली बंदूक)
की तलाश शुरू की। मालूम हुआ कि पास की किसी बस्ती में डॉरेंट गन है, माइक ने तुरंत वायरलैस द्वारा वहाँ संदेश भेजा। कई कार वालों को सोनिया की तलाश में भी भेजा। संयोगवश वन विभाग का एक अधिकारी लॉरेंस वहाँ से गुज़र रहा था। उसके पास दूर तक मार करने वाली रायफल |
और एक स्पॉट लाइट थी। उसने माइक को अपनी सेवाएँ प्रस्तुत की। माइक ने कहा, “मुझे आपकी रायफल की तो जरूरत नहीं। हाँ आपकी स्पॉट लाइट काम आ सकती है।” उन लोगों ने मिलकर स्पॉट लाइट द्वारा झाड़ियों की तलाशी ली। आखिर सोनिया उन्हें दिखाई दी। सर्कस के एक आदमी ने कहा कि वह सोनिया को पकड़ने की कोशिश करेगा।

लेकिन माइक ने इजाजत नहीं दी, क्योंकि सोनिया उस समय बहुत गुस्से में थी।
लगभग दस बजे रात को डॉरेंट गन आ गई, परंतु उसमें कुछ खराबी थी और वह प्रयोग न की जा सकी। जिला-पुलिस मुख्यालय ने माइक को आदेश दिया कि इंसानी जानें ख़तरे में हैं, इसलिए शेरनी को तुरंत गोली मार दी जाए।  अब कोई और चारा नहीं था। चूँकि वन विभाग अधिकारी की दूरी तक मार करने वाली रायफल अचूक निशाने के लिए बेहतर साबित हो सकती थी, अत: माइक ने उससे ही शेरनी पर गोली चलाने का अनुरोध किया। गोली शेरनी के कंधे पर लगी। माइक ने भी अपनी गाड़ी बढ़ाई और दस मीटर की दूरी से शेरनी की दोनों आँखों के बीच में गोली मार दी। दूसरी गोली चलाकर माइक ने रायफल झुका दी। एक शांतिप्रिय जीवन की खातिर इतना ही काफी था। कुछ दिनों बाद सोनिया और सुल्तान की मौत का किस्सा लोक-कथा बन गया। वे दोनों अमर हो गए। करीब के शहर के संग्रहालय में रखा हुआ शेर पुराना हो गया था, इसलिए वहीं सोनिया और सुल्तान रख दिए गए।

Thanks for reading this hindi story in hindi language.

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