प्यारे बच्चो , आज मैं kahaniya baccho ki ले कर आया हूँ – जो की एक कंजूस इंसान पर आधारित एक काल्पनिक घटना है।
कंजूस की अशर्फियाँ
एक कंजूस था। उसने कुछ अशर्फियाँ एक वीरान व सुनसान जंगल में एक पेड़ के नीचे गाड़ के छुपा रखी थीं। कभी-कभी वह जंगल में जाकर अपनी अशर्फियाँ को देख आता था। एक बार ऐसा हुआ कि किसी चोर ने उन अशर्फियों को वहाँ से ग़ायब कर दिया।
हमेशा की तरह जब कंजूस एक दिन वहाँ पहुँचा तो उसने देखा कि उसकी सारी अशर्फियाँ गायब हैं। ये देखकर वह बहुत घबराया। पर अब पछताए का होता जब चिड़िया चुग गई खेत।
वह रोता-पीटता हुआ काज़ी के पास पहुँचा और अपनी सारी विपदा उसे सुनाई। सब कुछ सुनकर काजी ने कहा, “तेरी इस बात का कोई गवाह भी है ? सच बात तो यही है कि आज इस दुनिया में मेरी किसी भी बात का कोई गवाह नहीं है। मगर यह भी सच है कि मैंने जंगल में एक पेड़ के नीचे वहाँ अशर्फियाँ दबा रखी थीं और कभी-कभी जाकर उन्हें देख आता था लेकिन पता नहीं कौन ऐसे वीरान जंगल से उन अशर्फियों को चुरा ले गया ?
उसकी यह बात सुनकर काजी ने कहा, “ठीक है, कुछ दिनों बाद तेरी अशर्फियाँ तुझे वापस मिल जाएँगी।” यह सुनकर कंजूस वापस चला गया। काज़ी ने बड़े-बड़े हकीमों और वैद्यों को बुलाया और उनसे पूछा, “जंगल के उस पेड़ की विशेषता बताओ कि उसके फल, फूल, पत्ते और टहनियों से किस-किस बीमारी में फायदा होता है?
हकीमों और वैद्यों ने काज़ी की आज्ञा के अनुसार उस पेड़ की विशेषताएँ मालूम की और बताया, “हुजूर उस पेड़ के पत्तों की यह खूबी है कि उसको पीसकर रोज़ सुबह नहार मुँह खाने से टी.बी. का रोग दूर हो जाता है। उसकी टहनियों से तिल्ली की बीमारी चली जाती है और उसकी जड़ पीलिया के रोगी के लिए लाभदायक है।
जब काजी ने उस पेड़ की ये विशेषताएँ सुनी तो हकीमों से कहा, “अच्छा अब एक काम यह करो कि मुझे याद करके बताओ कि इस महीने तुम लोगों के पास पीलिया के कितने रोगी आए थे ?
काज़ी की यह अनोखी बात सुनकर हकीमों को पहले तो बड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन फिर उन्होंने अपने-अपने रोगियों को काज़ी के सामने हाज़िर कर दिया। काजी ने सब रोगियों से हकीमों के सामने पूछा, “सच-सच बताओ कि तुमने इस रोग से छुटकारा किस दवा से पाया। सच बताना नहीं तो बहुत सख्त सजा दी जाएगी।
यह सुनकर सारे रोगियों ने अपना-अपना हाल काजी को बताया। फिर जिस रोगी ने उस पेड़ की जड़ से छुटकारा पाया था, उससे काज़ी ने पूछा, “उस पेड़ की जड़ तूने किस से मँगवाई थी? मुझे भी वह जड़ चाहिए।
काज़ी की यह बात सुनकर रोगी ने उस पंसारी का नाम बताया। काजी ने तुरंत उस पंसारी को बुलवा भेजा। पंसारी जब काज़ी के पास आया तो काजी ने उससे पूछा- क्या इस रोगी के लिए तुमने ही उस पेड़ की जड़ को लाया था ? उस बेवकूफ ने जवाब दिया , “हाँ हुजूर, मैं ही लाया था।
तब काजी ने कहा, “अगर तू उस पेड़ की जड़ लाया था तो उस बेगुनाह की अशर्फियाँ वापस कर दे, नहीं तो मार-मार के तेरी चमड़ी उधेड़ दी जाएगी। मार पड़ने के डर से उस व्यक्ति ने चुराई हुई सारी अशर्फियाँ काज़ी के सामने लाकर रख दीं। और कंजूस अपनी अशर्फियाँ पाकर खुशी-खुशी चला गया।
प्यारे बच्चो , आप सभी को kahaniya baccho ki कैसी लगी हमे जरूर बताइयेगा ताकि हम आपके लिए इसी तरह की मज़ेदार कहानीयाँ ले कर आते रहे – धन्यवाद
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