Hindi ki kahania for kids // बबलू बाग़ी का धंधा 

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प्यारे बच्चो- आज हम आपके लिए hindi ki kahania ले कर आएं है ,ये कहानी बबलू नामक एक चोर की है | मैं आशा करता हूँ की आपको ये hindi ki kahania पसंद आयेगी और आप इस कहानी को पढ़ते हुए भरपुर मनोरंजन करेंगे |

बबलू बाग़ी का धंधा 

व्यापारी जब कोई धंधा करता है तो उसमें पूंजी भी लगाता है। मेहनत भी करता है। बबलू बागी ने भी अपने घंधे में पूंजी लगाई और कड़ी मेहनत की। इस मेहनत का उसे फल भी मिल रहा था और धंधा खूब फल-फूल रहा था। बबलू के तीन घंधे थे। इनमें से दो हाथी के दांतों की तरह दिखाने के थे और तीसरा असल धंधा इन दो दिखावटी धंधों की बदौलत चलता था। बबलू बागी का पहल घंधा था कुत्ते पालना और बेचना । उसके पास एक से एक बेहतरीन नस्ल के कुत्ते थे। मसलन, डोबरमैन, जर्मन शेफर्ड, लेबरेडर, बुल डॉग, बाक्सर, पामेरियन वगैरह-वगैरह वह दो सौ रुपए से लेकर हजारों रुपए तक की कीमत पर कुत्ते बेचता था । उसका दूसरा धंधा था तालों की चाभी बनवाना । इसके लिए वह फेरी लगा कर घरों – कालोनियों में जाता था और कभी-कभी सड़क किनारे ताले-चाभी लेकर भी बैठता था। कुत्ते बेचना का धंधा बबलू बागी अपने घर पर करता था और इस सौदे के वक्त वह सूट-बूट पहने रहता । ताले-चाभी का धंधा वह फटीचर बन कर करता था । इन्हीं दो घंधों को करते हुए कोई यह नहीं जान पाया कि बबलू बागी ही दोनों काम करता है। कुत्ते वाले धंधे में उसका नाम बबलू  कुत्तेवाला था, जबकि ताले-चाभी के धंधे में नाम की जरूरत नहीं पड़ी थी। ये दोनों घंधे दिखावटी थे। इनसे उसके जरूरी खर्चे पूरे होते थे। लेकिन ठाट-बाट के लिए वह तीसरा धंधा करता था।उसका तीसरा घंधा था घरों में चोरी और सें धमारी करना । यही उसका असली धंधा था। इसी धंधे को चमकाने के लिए वह दूसरे दो धंधे भी करता था। अब जैसे ताले-चाभी का ही धंधा है। किसी ने ताले की चाभी बनवाई तो उस घर की एक चाभी बबलू बगी अपने लिए भी बना लेता था । साथ ही किसी ने उससे ताला खरीदा तो वह उस ताले की एक ‘डुप्लिकेट चाभी अपने पास पहले से रखता था। ताला खरीदने वाले का वह अक्सर पीछा करता था और उसके घर का नंबर आदि नोट कर लेता था ।

इस तरह वह एक साथ कई घरों पर नजर रखता था और अवसर मिलते ही कहीं न कहीं हाथ मार लेता था। घर के मालिक छट्टी पर गए हों या ज्यादा देर के लिए घर से बाहर गए हों तो बबलू बागी की लॉटरी लग जाती थी। कुत्ते का धंधा भी ऐसा ही था। अक्सर बबलू बागी तीन महीने से बड़े पिल्ले बेचता था । पिल्ले बेचते हुए वह लोगों को बताता था कि ये पिल्ले कितने वफादार है। किस तरह घर की रखवाली करेंगे । साथ ही वह समझाता था, “देखिए सर, कुत्ते को गेट पर बांध दीजिए या खुला छोड़ दीजिए और फिर घर के दरवाजे भी खुले रख सकते हैं। मजाल है
कि कोई घर में घुस जाए । उसके बाद जब कभी बबलू बागी उस घर में चोरी करने जाता, कुत्ते को वह उसके पुराने नाम से पुकार कर और पुचकार कर भौंकने का अवसर ही नहीं देता था। इस तरह उसकी चोरी के लिए रास्ता साफ हो जाता था। घर का मालिक सोया रह जाता था घर से कुछ समय के लिए बाहर होता तो पूरी तरह निश्चित रहता कि घर में रखवाली के लिए कुत्ता है |

एक दिन बबलू बागी ने एक कोठी में रहने वाली महिला के घर के मुख्य द्वार की बड़ी चाभी बनवाई। उसके बाद वह उस घर पर नज़र रख रहा था । उसी बीच एक सज्जन कुत्ता खरीदने आए । कुत्ता लेकर जब वे जाने लगे तो बबलू उनके पीछे लग गया । वह आदमी उसी घर में घुसा जिसके मुख्य द्वार की चाभी कुछ दिन पहले बबलू ने बनाई थी। यह देख कर बबलू बागी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । उसने मन ही मन सोचा कि बहुत अच्छा हो गया । अब कभी भी अवसर मिलने पर वह इस घर में सेंध लगा देगा । ताला खोल कर अंदर घुसा और कुत्ता मिला तो भी कुत्ता उसे कुछ नहीं करेगा । यही योजना बना कर बबलू सही अवसर का इंतजार करने लगा।

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_अंततः एक दिन बबलू बागी को अवसर मिल गया। उस दिन घर पर ताला लगा था। बबलू ने पता लगाया तो मालूम हुआ कि घर के लोग किसी
शादी में गए हैं और रात के दस-ग्यारह बजे तक लौटेंगे । बबलू ने रात के नौ बजे जब लोग टी वी पर कार्यक्रम देख रहे थे, उस घर को निशाना
बनाया। उसे सिर्फ बाहर लगे ताले को खोलने में थोड़ी मेहनत करनी पड़ी । दूसरा ताला वही था जिसकी चाबी उसने बनाई थी। घर खोल कर वह
अंदर घुसा ही था कि कुत्ता भीका । बबलू ने बड़े प्यार से पुचकारा और कुत्ते को उसका नाम लेकर बुलाया, “जैकी, जैकी, कमऑन जैकी ।”
लेकिन अचानक ही कुत्ते ने अंधेरे में बबलू पर हमला कर दिया । असल में बबलू धोखा खा गया था । जो व्यक्ति कुत्ता लेकर इस घर में आया था
वह घर का मालिक नहीं बल्कि उसका रिश्तेदार था । वह कुत्ता दिखाने और मुलाकात करने इस घर में घुसा था। कुछ देर बाद वह चला गया
था । इस घर के मालिक के पास पहले से कुत्ता था । यह कुत्ता बबलू बागी का पाला हुआ नहीं था इसलिए उस पर झपट पड़ा। बबलू को ऐसी उम्मीद नहीं थी । उसका आत्मविश्वास डगमगा गया । वह गिर पड़ा। कुत्ते ने उसे कई जगह काट खाया । वह भागने लगा तो कुत्ते ने फिर अपट कर उसकी पिंडली पकड़ ली। इसी दौरनि घर. के लोग शादी से लौट आए । अंधेरे में कुत्ते के साथ बबलू की गुत्थमगुत्था चल रही थी। उन लोगों ने फौरन रोशनी की और बबलू बागी को दबोच लिया।

___घर की मालकिन ने उसे पहचान लिया कि यह वही चाभी बनाने वाला है। कुछ लोगों ने उसी वक्त पुलिस को फोन कर दिया और कुछ उसे पीटने लगे । पिटाई के दौरान अचानक ही बबलू बागी गिर पड़ा । गिरते ही उसके मुंह से कुछ थूक और झाग निकला और उसने हाथ-पैर ढीले छोड़ दिए। अब पिटाई करने वाले घबराए । कोई बोला, “लगता है पिटाई से मर गया ।” किसी ने अंत में कहा, “पुलिस आती ही होगी। जैसा है वैसे ही पडे रहने दो।” लोगों ने तुरंत उसे छोड़ दिया। बबलू फिर भी हिला-डुला नहीं। तभी किसी ने डॉक्टर बुला लेने की भी सलाह दी । फौरन डॉक्टर को फोन किया गया। सब लोग बबलू को जमीन पर गिरा छोड़ कर दूर खड़े उसे देख रहे थे। अचानक ही पलक झपकने जितना वक्त भी नहीं लगा और बबलू बागी उठ कर दौड़ पड़ा । लोग देखते रह गए । जब तक कोई उसके पीछे दौड़ता वह आंखो से ओझल हो गया था।

उस घर के लोग हाथ मलते रह गए । कोई कहता, “मैंने कहा था ना, कि हाथ-पैर तोड़ देते है “मैंने में कहा था और मारो, बहाने बना रहा है। लेकिन आप लोग कहते रहे छोड़ दो, मर गया । ” दूसरे ने अफसोस जताया । तभी पुलिस मे आ गई । डॉक्टर उससे पहले ही पहुंच चुका था। अब वे लोग क्या कर सकते थे। सिर्फ गनीमत यह रही कि घर की मालकिन ने उसे पहचान लिया था । लेकिन उसका अता-पता, नाम आदि कुछ भी मालूम नहीं था। पुलिस ने बयान आदि लिए । चोरी हुई नहीं थी, इसलिए किसी ने इस पर ज्यादा चिंता नहीं जताई कि चोर को पकड़ा जाए पुलिस ने भी कुछ नहीं किया। सिर्फ चोर के लिए और घंधे से काम नहीं चलता था । इस बीच बबलु बागी ने चाबियां बनाने का धंधा भी बंद कर दिया । हां, बबलू  कुत्तेवाला के नाम से कूत्ते बेचने के धंदे  पर उसने ज्यादा जोर देना शुरु कर दिया ।

एक दिन अचानक ही एक आश्चर्यजनक घटना घट गई । जिस घर में चोरी हुई थी उसके मालिक घासीराम जी अपने कुत्ते को टीके लगवाने मवेशी डॉक्टर के पास पहुंचे । संयोग से वहां बबलू बागी यानी बबलू  कुत्तेवाला भी अपने कई कुत्तों कोलेकर पहुंचा था । वहां कई लोग भी पहुंचे थे। घासी राम और बबलू का सामना हुआ तो बबलू उन्हें पहचान गया। लेकिन घासी राम नहीं पहचान पाए। उन्हें एक झलक में सिर्फ में सिर्फ इतना लगा कि पह व्यक्ति देखा हुआ लगता है। वहां पहुंचे लोगो के साथ कुत्ते भी थे और कुत्ते आपस में एक-दुसरे पर भौंक रहे थे। लेकिन घासीराम जी ने देखा कि उनका कुत्ता लगातार बबलू  कुत्तेवाले पर भौक रहा है। समझ नहीं पाए कि वजह क्या है। कुत्ता बुरी तरह भीक रहा था । घासीराम जी गौर से बबलू  को देख रहे थे। अचानक ही उसके हाथ में घाव-सा दिखाई दिया जो भर चुका था। इसी क्षण उन्हें याद आया कि उनके कुत्ते ने एक दिन इसी तरह एक चोर के हाथ में दांत लगाया था, पिंडलियां फाड़ दी थीं। घासीराम जी ने चोर का चेहरा याद किया तो
बबलू कुत्तेवाले से मिलता-जुलता था। अपने शक की पुष्टि करने के लिए घासी राम जी आगे बढ़े और अपने पैर से बबलू  की पिंडली पर जूता मार दिया। बबलू  कराह उठा। वे फौरन क्षमा मांग कर एक तरफ हो गए। फिर एक बार उन्होंने अपने कुत्ते की जंजीर छोड़ दी । कुत्ता फौरन बबलू  पर झपटा । उन्होंने कुत्ते को पकड़ लिया और उन्हें पूरा यकिन हो गया कि वही व्यक्ति उस रात का चोर है।

बबलू कुत्तेवाला भी घबराया हुआ था । वह झटपट काम निपटा कर जाने लगा । घासी राम जी ने एक तिपाहिया स्कूटर लेकर उसका पीछा शुरु कर दिया और उसका घर देख कर लौट आए। फिर उन्होंन पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस के साथ घासीराम जी खुद भी वहां पहुंचे। पुलिस ने जब पूछताछ – की तो बबलू कुत्तेवाला सारी बातें आराम से टाल गया। पुलिस कुछ भी नहीं कर पाई। तभी घासीराम जी बोले, “चोर कौन है इसका फैसला मेरा कुत्ता कर देगा। आइए बबलू  , आप बाहर खुले में आइए । मैं कुत्ते को छोड़ देता हूँ । वह बता देगा कि चोर कौन है।”
बबलू कुत्तेवाला  ने हिम्मत के साथ कहा, “चलिए”। लेकिन बाहर जब घासी राम ने बबलू  के सामने कुत्ता छोड़ा तो कुत्ता बुरी तरह उसकी ओर झपटा । उसी क्षण बबलू  कुत्तेवाला चीखा, “रुकिए, कुत्ते को पकड़िए ।” उसके बाद उसने कबूल कर लिया कि वही चोर है | 

प्यारे बच्चो- मैं उम्मीद करता हूँ की आपको ये hindi ki kahania अच्छी लगी होंगी और हमारा उद्धेश्य भी यही है की आपको मेरी hindi ki kahania पसंद आए | 

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