Hindi Story Writer for Kids | भींगे हुए बादाम

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प्यारे बच्चो- आज हम आपके लिए Hindi Story Writer की कहानी ले कर आए हैं और मुझे आशा है की आपको ये कहानी बहुत पसंद आएगी | 

भींगे हुए बादाम


Let`s Start this Hindi Story Writer for Kids.

दो मित्र एक पार्क में बैठे बातें कर रहे थे। वहीं बगल में एक अधेड़ उम्र के सज्जन बैठे हुए थे। पार्क के उसी छोर पर एक महिला भी अकेली बैठी किसी का इन्तजार कर रही थी। मित्रों के बातचीत जारी थी । बब्बू नाम का युवक कह रहा था, “यार चींटू, तू कैसे बेरोजगार रह गया ? तेरी याद्दाश्त तो कमाल की है। आज तक तूने जो कुछ भी पढ़ा एक ‘बार में याद हो गया ।

फिर तो तुझे किसी भी कम्पटीशन में निकल जाना चाहिए था।” चीटू बोला, “याद्दाश्त तो अच्छी है पर भाग्य अच्छा नहीं है। जब कभी किसी परीक्षा में बैठना चाहता हूँ  तो कुछ न कुछ अड़ंगा पड़ जाता है। वरना मेरी स्मरण शक्ति तो ऐसी है कि सौ दिन में सौ पुस्तकें पढ़ लूँ  तो सब कंठस्त हो जाएं। उसके बाद आई. ए. एस. की परीक्षा भी देता तो निकल जाता।” “लेकिन यार, तेरी याद्दाश्त इतनी तेज हुई कैसे ? मुझे भी कोई तरीका बता, ताकि मैं भी कोई नौकरी पा जाऊँ ।” चीटू ने कहा,”तो तुझे दे दो  याद्दाश्त बढ़ाने का नुस्खा ? “-बब्बू ने कहा । चींटू ने मजाक किया, “नुस्खा भी दे दूंगा, पहले तू पचास रुपए निकाल । मुझे जरुरत है और तूने वादा किया है।”

चींटू ने बब्बू से पचास रुपए उधार माँगे  थे । उसने पार्क में मिलने को कहा था । लेकिन उनकी बातचीत सुन रहा अधेड़  व्यक्ति चौकन्ना हो गया। ज्यों ही बब्बू ने चींटू को पचास रुपए दिए, वह लपक कर आ गया । बोला, “भय्या जी, मुझसे सौ ले लीजिए लेकिन नुस्खा मूझे भी दे दीजिए।”यह सुनते ही दोनों हँस  पड़े । वह अधेड़  बोला, “कोई नहीं भय्या, दो सौ ले लीजिए।” इस पर बब्बू ने मजाक किया, “दो सौ रुपए में कहीं नुस्खा मिलता है ? मैंने तो एक खुराक के पचास रुपए दिए ।” “तो ठीक है भय्या, जो रेट है हम देंगे ।

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बच्चों के लिए सब करना पड़ता है। मेरी बेटी को तो कुछ भी याद नहीं होता। वह दसवीं में पहुँच  गई है। फेल हो जाए तो दस साल से जो फीस भरी है उस पर पानी फिर जाएगा। बेटे को भी कई बार रटाई करने के बाद याद होता है।क्या किया जाए, भाग्य का खेल है। बोली, “मैं आपको मुँह माँगा दाम दे सकती हूं। प्लीज, याद्दाश्त बढ़ाने की दवा मुझे भी दीजिए। चींटू हँसने  लगा। बोला , “देखिए, हम लोग मजाक कर रहे थे। मेरे पास ऐसी कोई दवा नहीं है।” महिला गिड़गिड़ाने लगी, ” मैं आपका अहसान कभी नहीं भूलूंगी । प्लीज मेरी मदद कीजिए ।

मैं नौकरी करती हूँ । लेकिन कुछ निजी परेशानियों के कारण तनावग्रस्त रहने से मेरी स्मरणशक्ति कमजोर हो गई। मुझे विभागीय परीक्षा में बैठ कर अफसर बनना है ,इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करती हूँ  मेरी मदद कीजिए ।

मेरे लिए विभागीय परीक्षा पास करना सम्मान का प्रश्न बन गया है । मैं अपनी मजबूरी बताऊंगी तो आप रो पड़ेंगे।”  महिला की बात से अधेड़ व्यक्ति को लगा कि महिला ने ज्यादा सहानुभूति पा ली। वह कहने लगा, “अजी में तो दिन-रात रोता हूँ । मेरी पत्नी  भी रोती है। जो बच्चे पढ़ नही पाते उनके मां-बाप तो जीवन भर रोते ही रहते है। एक बाप की हालत पर तरस खाइए।” “देखिए, आप लोग गंभीर हो गए। मेरे पास ऐसी ने कहा तो बब्बू मुस्कराता हुआ बोला, “अब वक्त आ गया दोस्त, तू अपने फार्मूले से दवा बना और जनता की सेवा कर । “क्यों मजाक करता है यार । अभी ये लोग पीछे पड़ जाएंगे।” इतना कह कर चिंटू  उठा और चल दिया। वह अधेड़ व्यक्ति और महिला बब्बू के पीछे पड़ गए । बब्बू ने अपना पिछा छुड़ाना चाहा और कह दिया, ” देखिए. याद्दाश्त बढ़ाने की दवा तो उसी के पास है।

 

आप उसके पीछे जाइए।” वे दोनों बब्बू से चींटू का पता मांगने लगे। बब्बू ने पता बता दिया और चिंटू के पीछे-पीछे दौड़ पड़ा। काफी दूर जाकर उसने चींटू को पकड़ा। चींटू उस पर बिगड़ पड़ा, ” क्या  बदतमीजी है यार, तूने उन्हें तो धोखा दिया ही मुझे भी मुसीबत में फंसा दिया “यार, मैं तो मजाक कर रहा था। वे लोग गंभीरता से ले बैठे।” “तो तुझे कहना चाहिए था कि मजाक किया । मैंने  तेरे जाने के बाद कहा । पर  वे मानने को तैयार ही नहीं थे , तेरा पता भी माँग  लिया ।“तूने दिया क्यों ? में “देख यार, जरा ठंडे दिमाग से सोच । ये लोग कोई गरीब, बेरोजगार तो है नहीं । जबकि तू बेरोजगार है। अगर तेरे पास पैसे आ जाएं तो तू कम्पटीशन में बैठ कर कुछ कर गुजरेगा ।

ऐसे दो-चार अक्ल के अन्धे और मिल जाएं। तो कुछ पैसे लेने में हर्ज क्या है? बता ?” “क्या बात कर रहा है यार, उन्हें याद्दाश्त बढ़ाने की दवाई के नाम पर क्या कुछ और दे दूंगा ?” – “हाँ भाई , बादाम पीस कर या कुछ भी दे दे । तुमसे नहीं होता तो में दे देता हूं। हम दोनों पैसे आधे-आधे ले  लेंगे ।”-बब्बू ने कहा तो चींटू चिंता में डूब गया । फिर बोला, “नहीं यह गलत है।” “तू तो उनके पास गया नहीं। वे तेरे पास आ रहे हैं ।

 

इसमें तेरी गलती तो है नहीं।” दोनों के बीच काफी बहस होती रही। अगले दिन वह महिला और अधेड़  चींटू के घर पहुँच  गए। वहाँ  बब्बू भी बैठा था । वे लोग फिर दवा देने को कहने लगे। चींटू ने कहा, “अच्छा ठीक है, आप एक-एक किलो बादाम लेकर आइए।” वे दोनों खुशी-खुशी बादाम लेने चले गए । लौट कर आए तो बब्बू ने कहा, “अब आप बादाम छोड़ जाइए ? कल आपको दवा में भीगे हुए बादाम मिल जाएंगे।” “आज ही दे दीजिए। दवा में डुबाने में कितना समय लगता है। हम दोनों पैसे अभी दे रहे आज दीजिए, चाहे कल । लेकिन दवाई कल मिलेगी। आज बादाम भिगा कर दवाई सुखानी पड़ेगी।” वे लोग मान गए ।

अगले दिन छिले हुए बादाम यानी उसकी गिरी ज्यों की त्यों उन्हें लौटाते हुए बब्बू ने बताया, “इन्हें रात को भिगा देना । हर व्यक्ति के लिए पाँच दाने के हिसाब से । फिर सुबह पीस कर घी में छोंक कर उसमें एक गिलास दूध डाल देना । पाँच  दाने बादाम और एक गिलास दूध । इस तरह महीने भर सेवन करना । फिर किसी पुस्तक का एक अध्याय पढ़कर किसी दूसरे को सुनाना। देखना कितना फर्क आया है। छह महीने में आपकी स्मरण शक्ति कप्यूटर की तरह हो जाएगी।” – दोनों बहुत खूश हुए और पाँच -पाँच सौ रुपए दे गए। अगली खुराक एक महीने बाद लेनी थी या फिर जब बादाम खत्म हो जाएं।

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वे दोनों चले गए तो बब्बू ने  चीटू को पाँच  सौ रुपए दिए और पाँच  सौ खुद रख लिए । चींटू घबराया हुआ था । बोला, ” लेकिन तूने बड़े-बड़े दावे क्यों किए “तू भी गधा है यार । स्मरण शक्ति को मापने का किसी के पास कोई पैमाना होता है क्या ? उन्हें लगे कि स्मरण शक्ति बढ़ रही है तो अच्छा है, उन्हें न लगे तो हम कहेंगे ऐसा हो ही नहीं सकता। यह तो राम बाण  औषधि है।”चींटू की समझ में बात आ गई । वे लोग कुछ समय बाद फिर बादाम देकर दवाई में डूबे बादाम के नाम पर वही सामान्य बादाम फिर ले गए। छह महीने यह सिलसिला चलता रहा ।

एक दिन अचानक ही वह अधेड़  अपनी पत्नी और बच्चों के अलावा चार और पड़ोसियों के साथ आया और चिंटू  के पैरों में गिर गया । बोला, “बच्चे पास हो गए। आपकी दवाई न खाते तो हजार रुपए महीने का ट्यूशन लगा देने पर भी पास न होते ।” बब्बू ने किसी महात्मा  के चेले की तरह ऐंठ कर कहा, “वही तो, ट्यूटर सिर्फ पढ़ा सकता है लेकिन । किसी को कोई सबक याद नहीं करा सकता। बाद वही कर सकता है जिसकी याद्दाश्त पुख्ता हो।” बब्बू ने तिरछी नजर से देखा, अधेड़  के सभी पड़ोसी हाथ में बादाम की थैलियाँ  लेकर आए थे। यह भी संयोग ही रहा कि कुछ महीने बाद वह महिला भी विभागीय परीक्षा में पास हो गई ।

अब तो उस अधेड़ और महिला ने मिल कर चींटू का भारी प्रचार कर दिया । अब सुबह से छात्रों, सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों में काम करने वालों, बेरोजगारों, दिमागी काम करने वालों आदि की भीड़ लग गई। हर व्यक्ति बादाम लेकर चौंटू के घर की तरफ जाता हुआ नजर आता । चिंटू  के साथ-साथ बब्बू भी अमीर हो गया था। देखते ही देखते बादाम लेकर दवाई मिलाने और उसी विधि से सेवन करने की हिदायत देने वाली कई और दुकानें खुल गई।

एक दिन एक महिला अपनी सोलह और अठारह साल की दो बेटियों के साथ चींटू के पास पहुंची और बोली, “देखिए, मैने रामपुरा इलाके में आप ही जैसे किसी याद्दाश्त बढ़ाने वाले से बादाम लिए-दवाई में भीगे । दोनों बेटियों को खिलाए तो इन दोनों की पलकों और भौहों के बाल गिर गए। वहां ऐसे ढेरों लोग आ रहे हैं। दवाई बेचने वाले फरार हैं।” – बब्बू ने झट कहा, “देखिए, हमारी कोई ब्रांच नहीं है।” चींटू ने पुछा, “उसने आपके सामने बादाम दवाई में भिगाए ?” महिला बोली, “हाँ , कोई पीला घोल था।” चींटू बोला, “तो सचमुच उसने किसी दवाई में भिगा दिए  होंगे ।

हमारी नकल करने में अक्ल का इस्तेमाल नहीं किया ।” “क्या मतलब”बब्बू झट बोला, “कुछ नहीं दवा की मात्रा बढ़ा दी होगी या गलत दवाई का इस्तेमाल किया होगा।” तभी सैकड़ों लोगों की भीड़ उस ओर दौड़ी आ पहुँची । उनमें से आधे लोगों की भौहें और पलकें साफ थीं। लोगों ने चीखते हुए कहा, “इन्हीं बदमाशों को पकड़ लो, ये सब एक ही गिरोह के होंगे । पिटाई होगी तो उनका पता बता देंगे।” लोग चींटू और बब्बू को पीटने लगे। चिल्लाया, “देखिए आप हमे नहीं मारिए । हम लोग बादाम में किसी भी तरह की कोई दवा मिलाते ही नहीं थे।”


एक लड़का बाहें समेटता हुआ बोला, “फिर तो तुम ज्यादा बड़े बदमाश हो । मुफ्त की रकम ऐंठते  हो । उन लोगों ने भले ही भौहें- पलकें गिरा
दी, पर बादाम भिगाने में कुछ तो खर्चा किया होगा।” “देखिए, मिलावटखोरी ज्यादा बड़ा अपराध है।”-बब्बू  ने कहा। तभी किसी महिला ने उसके गाल पर तमाचा जड़ते हुए कहा, “तो ठगी छोटा अपराध है ?” बब्बू और चींटू कहते रहे कि उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से ठगी नहीं की। लोग खुद ही बादाम लेकर आते हैं। पर ठगे गए लोग नहीं माने । कहने लगे-इन्होंने बादाम की ठगी की है, इनका तेल निकाल दो। कोई बोला, “ये बादाम दवा में भिगा कर खिलाते थे, हम इन्हें जूते पानी में भिगा कर खिलाएँगे | 

 

प्यारे बच्चो-ये कहानी Hindi Story Writer एक मनोरंजक कहानी है और मैं आशा करता हूँ की आपको Hindi Story Writer की कहानी बहुत पसंद आई होगी | 

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